कोरोना वायरस ने सारी दुनिया में सभी के होश उड़ा दिए हैं क्योंकि यह बीमारी छुआछूत से फैलती है। सरकार ने पहले तो कई देशों से आने वाले विमानों पर रोक लगानी शुरू कर दी और एक दिन ऐसा भी आया कि विदेशों से आने-जाने वाले सभी विमानों पर रोक लगा दी गई तथा वीजा देना बंद कर दिया। इसके साथ ही पर्यटकों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया। इसने भारत की जीडीपी में 9.2 प्रतिशत का योगदान करने वाले पर्यटन उद्योग के सामने संकट के काले बादल छा गए हैं।
ट्रैवेल और पर्यटन उद्योग का भारतीय जीडीपी में योगदान लगभग 25 अरब डॉलर का है। देश में मंदी के चिन्ह के बावजूद ये आगे ही बढ़ रहे थे और ये विदेशी मुद्रा कमाने का बड़ा जरिया बनते जा रहे हैं। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। ट्रैवेल कंपनियों, होटल-रेस्तरां मालिकों, विमान कंपनियों और कैब कंपनियों की हालत खस्ता ही नहीं है बल्कि उनके सामने अंधेरा छाता जा रहा है। भारत की ज्यादातर विमान कंपनियां घाटे में चल रही हैं और वे वर्तमान लॉकडाउन के बाद उठकर खड़ी हो पाएंगी, इसमें शक है। ऐसा अंदाजा है कि एयर इंडिया को छोड़कर बाकी भारतीय एयरलाइनों को 50-60 करोड़ डॉलर का धक्का लग सकता है। इन उद्योगों में साढ़े पांच करोड़ लोग काम करते हैं और अगर यह लॉक डाउन लंबा चला तो कम से कम साढ़े तीन करोड़ बेरोजगार हो जाएंगे। देश के लिए यह बहुत बड़ा सदमा होगा और सरकार के लिए मुसीबत। इसे फिर से पटरी पर लाना बहुत बड़ा प्रयास होगा। अगर हम चाहते हैं कि ऐसी स्थिति न आए तो हमें सरकार के दिशा निर्देश मानने लगें।
भारत में आने वाले हर दस विदेशी पर्यटकों में से चार राजस्थान जरूर आते हैं। भारत के मध्यकाल के समृद्ध इतिहास की एक झलक देखते हैं और काफी समय गुजार कर जाते हैं। राजस्थान को इस बात का गौरव प्राप्त है कि भारत ही नहीं दुनिया के शानदार होटलों में कई राजस्थान में हैं। इनमें विदेशी पर्यटकों की अच्छी भीड़ होती है और बड़ी तादाद में राजस्व इकट्ठा होता है। विदेशी मेहमानों के अभाव में होटल-रेस्तरां तथा पर्यटन से जुड़े लोगों को काफी आर्थिक चोट पहुंचेगी जिसका असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा।
राजस्थान की तरह गोवा भी विदेशी पर्यटकों का पसंदीदा स्थान है और यहां तो विदेशियों की कालोनियां भी बसी हुई हैं। वहां विदेशी पर्यटक चार्टर्ड विमानों से सीधे आते हैं और अच्छी रकम खर्च करते हैं। इससे न केवल राज्य बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को मदद मिलती है। वहां पर्यटकों के अभाव में पर्यटन उद्योग चौपट हो जाएगा। कोरोना वायरस के कारण वहां के समुद्र तटों पर इस समय सन्नाटा पसरा है। यही हाल तिरुपति जैसे धार्मिक केन्द्र का है जहां हर दिन औसतन एक लाख से भी ज्यादा लोग आते हैं। धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा गंतव्य है। इसी तरह शिरडी के दरवाजे भी भक्तों के लिए बंद हैं और वहां सन्नाटा पसरा है। ये दो बड़े धार्मिक स्थल हजारों लोगों को रोजगार देते हैं और इनसे हर दिन करोड़ों रुपए की प्राप्ति होती है। ऐसे सैकड़ों धार्मिक पर्यटन स्थल हैं जहां कभी भीड़ लगती थी लेकिन आज सन्नाटा है और इन सबसे पर्यटन उद्योग को भारी धक्का पहुंच रहा है।
इन सब ने होटल और ट्रैवल इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है। देश भर के होटल और रेस्तरां के संगठन ने प्रधान मंत्री से गुहार लगाई है। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए टैक्स होलिडे के अलावा कर्ज अदायगी में मोहलत मांगी है। वे चाहते हैं कि उन्हें एडवांस टैक्स के प्रवाधानों से फिलहाल मुक्ति दी जाए। उनके लिए बैंकों के कर्ज चुकाना सबसे बड़ी समस्या है। होटलों में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा कैंसलिशेन आ चुके हैं। होटलों-बैंक्वेट में सभी तरह के समारोह रद्द हो जाने से न केवल उन्हें बल्कि कैटरिंग तथा अन्य जुड़े घटकों को भारी नुक्सान उठाना पड़ रहा है। इसकी भरपाई संभव नहीं है और अगर निकट भविष्य में सरकार इन्हें राहत नहीं देती है तो यह व्यवसाय कई साल पीछे चला जाएगा।
ज़ाहिर है हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार को ही कुछ करना होगा। यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें तेजी कोरोना वायरस के आतंक के घटने के बाद भी तुरंत तेजी नहीं आएगी और उसे काफी समय तक इंतज़ार करना होगा। वित्त मंत्री ने कई सारी घोषणाएं की हैं जिनसे इस उद्योग को लाभ होगा लेकिन अभी जो हालात हैं उऩके लिए ये नाकाफी हैं। इस उद्योग को हर स्तर पर सपोर्ट चाहिए क्योंकि यह ने केवल सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व देता है बल्कि रोजगार भी। संकट की इस घड़ी में इसे सहारा चाहिए।
इस भयानक संकट ने इनके सामने अस्तिस्व का सवाल खड़ा कर दिया है। इसे ध्यान में रखते हुए भारत सरकार विमानन उद्योग के लिए 1.6 अरब डॉलर के राहत पैकेज पर विचार कर रही है। अगर यह होता है तो कोरोना संकट खत्म होने के बाद इस उद्योग को फिर से खड़ा करने में बहुत मदद मिलेगी। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कब तक यह संकट बना रहेगा और कब से फिर उड़ानें शुरू हो सकेंगी। अगर उड़ानें शुरू भी हो जाती हैं तो कब वे अपनी पूरी क्षमता से काम कर सकेंगी, यह कहना मुश्किल है। इसलिए सरकार को एक दीर्घकालीन नीति बनानी होगी और राहत पैकेज देना होगा। जिस तरह से देश में बेरोजगारी बढ़ रही है उसके बाद से यह जरूरी है कि इस उद्योग की रक्षा की जाए। चीन ने अपने विमानन उद्योग को खूब बढ़ावा दिया जिस कारण से वहां बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित हुआ और बिज़नेस तथा टूरिज्म को भी काफी बढ़ावा मिला। भारत में भी ट्रैवल उद्योग ने अभी कदम बढ़ाए हैं और इसे सहारे की सख्त जरूरत है। न केवल इस संकट में बल्कि आने वाले समय में भी सरकार के सहारे की जरूरत होगी।